पता है ये फयान मुंबई क्यों नहीं आया
शर्मसार है लोकतंत्र राज साहेब
क्या राजनेता देश को आगे लाने के मूड में हैं?
हिन्दी से हों मस्त-अंग्रेजी करे पस्त
Friday, November 13, 2009
Monday, November 2, 2009
Friday, October 30, 2009
Thursday, October 29, 2009
Monday, October 26, 2009
Saturday, October 24, 2009
Friday, October 23, 2009
मोहब्बत के मारो की दास्तान
Thursday, October 22, 2009
Wednesday, October 21, 2009
Tuesday, October 20, 2009
मंदिरों में फोटो पर जंग
मंदिरों में फोटो खींचने पर दो अलग-अलग लेकिन एक दूसरे के पूरक लेखों को आप यहां देख सकते हैं।
मंदिरों में फोटो खींचना क्यों मना है?
धार्मिक स्थलों में फोटो खींचने की मनाही क्यों जायज है
मंदिरों में फोटो खींचना क्यों मना है?
धार्मिक स्थलों में फोटो खींचने की मनाही क्यों जायज है
Monday, October 19, 2009
Sunday, October 18, 2009
Saturday, October 17, 2009
Thursday, September 3, 2009
मैंने भी मारी दी सेंचुरी
ब्लोग जगत में आने के बाद मैंने लिखने में तो कमाल नहीं किया है, पर टिपियाने में जरूर कमाल कर दिखाया है। मैंने एक ब्लोग राजतंत्र पर, जिसका मैं शुरू से ही प्रशंसक रहा हूं उसमें टिप्पणी करने में सेंचुरी पूरी कर दी है। ज्यादा समय न मिलने के कारण लिखने में परेशानी होती है, पर पढऩे का समय निकाल ही लेता हूं। जो ब्लोग मुझे भाते हैं, उन ब्लोग पर मैं जरूर जाता हूं, टिपियाने का भी प्रयास करता हूं। बहुत समय से कोशिश कर रहा हूं कि मैं भी कुछ लिखने की हिम्मत दिखाऊं और सबकी तरह लंबी-लंबी हांकने का काम करूं। पर क्या करूं जब भी हांकने के लिए सोचता हूं कोई न कोई काम आ जाता है। अब इस छोटी की पोस्ट की ही बात लो, सोचा था जब टिपियाने की सेंचुरी पूरी होगी तभी लिख दूंगा, पर नहीं लिख सका। आज सोचा चलो गुरु इस काम को तो निपटा ही लो, नहीं तो यह भी लटकन बन जाएगा, उसी तरह से जैसे दिमाग में आए कई विषय लटकन बने हुए हैं।
Saturday, August 22, 2009
राहुल गांधी की तो वाट लगा दी
राजतंत्र पर राज भाई ने तो सोनिया के राजकुंवर राहुल गांधी की वाट ही लगा दी और लिखा है राहुल गांधी की तो.... इस लेख में इतनी दमदारी और ईमानदारी से सच्चाई का बयान किया गया है कि लगता है यह अपना ही सच है। इस लेख के लिए राज जी का मैं तो तहे दिल से शुक्रगुजार हूं। मुझे लगता था कि एक मैं ही ऐसे मामलों में सोचता हूं, पर राज जी के लेख से मालूम हुआ कि ऐसा सोचने वालों की कमी नहीं है। जब बिग-बी के पक्ष में राजतंत्र में एक लेख पढ़ा था तो मुझे कुछ खींज हो गई थी, मैंने अपनी इस खींज का इजहार भी किया था। मेरा ऐसा मानना है कि हर ब्लोगर को दमदारी से समाज से जुड़े मुद्दों को उठाना चाहिए ताकि ब्लोग जगत एक सार्थक दिशा में जा सके। अगर ब्लोग के रूप में लिखने वालों को एक मंच मिला है तो इसका सही उपयोग भी होना जरूरी है। जब ब्लोगर मित्र सामाजिक सरोकार की बातें करेंगे तो समाज में सुधार आएगा ऐसा मेरा मानना है।
Wednesday, August 19, 2009
बिग-बी कोई तोप की नाल तो नहीं
बिग-बी ने ब्लोग न लिखने की धमकी क्या दी, ब्लोग जगत में लगता है भूचाल आ गया। खामखाह में राजतंत्र में भाई राजकुमार ने बिग-बी को हीरो बनाते हुए उनके ब्लोग बंद कर देने से होने वाली परेसानी का बखान कर दिया है। राज जी क्यों अपनी ऊर्जा को ऐसे लोगों के पीछे खर्च कर रहे हैं जिनको किसी की परवाह नहीं रहती है। क्या बिग-बी ब्लोग नहीं लिखेंगे तो ब्लोग जगत बंद हो जाएगा। ऐसा नहीं है गुरु। बिग-बी जैसे लोग खालिस पब्लिकसिटी पाने के लिए ऐसे तीर छोड़ते रहते हैं। आप जैसे सुलझे पत्रकारों को इनके झांसे में आते देखना दुखद होता है। मैं आपके ब्लोग को नियमित पढ़ाता हूं। बिग-बी पर लिखे लेख को पढऩे में कुछ देर हो गई, लेकिन इसको पढ़कर दुख हुआ। उधर नारद जी नारद जी ने बिग-बी को अच्छा लताड़ा है। मैं तो आपसे ऐसे लेख की उम्मीद कर रहा था।
Friday, June 26, 2009
कपड़ों के लपड़ों में मत पड़ो गुरु
ब्लोग जगत में कपड़ों को लेकर बवाल मचा हुआ है गुरु। हर दूसरा ब्लोगर न जाने क्यों महिलाओं के कपड़ों के पीछे पड़ा है गुरु। अब अपने ब्लोगर मित्र हमारा हिन्दुस्तान वाले कासिफ आरिफ की बात ले ले। बिना वजह महिलाओं से पंगा लेने का काम कर रहे हैं। कुछ समय पहले राजतंत्र वाले राजकुमार ग्वालानी ने भी ऐसा ही पंगा लिया था। अरे गुरु किसी भी महिला से पंगा लेने का नई है। पंगा उनसे लेना चाहिए जिनसे पंगा लेने से कोई फायदा हो। महिलाओं से पंगा लेकर भला कौन जीत है आज तक। कौन सी महिला साड़ी या फिर जिंस को नाभि के नीचे पहनती है इससे तुम्हें क्या लेना-देना है गुरु। उसको अगर अपनी नाभि दिखाने में इतराज नहीं है तो फिर तुमको क्यों है गुरु। सबका अपना शरीर है, अपने शरीर को दिखाने में उसको परेशानी नहीं है तो तुम क्यो ंदुबले हो रहे हैं। सॉरी... सॉरी.. दुबले नहीं परेशान। क्या मालुम दुबले कहने से किसी गुरु या फिर गुरुआनी को बुरा लग जाए। कहने का मतलब यह है गुरु कि कोई अगर बिना कपड़ों के भी घुमने की इच्छा रखता है तो तुम कौन होते हो उसको कपड़े पहनने की सलाह देने वाले। फ्री की सलाह लेना कोई पसंद नहीं करता है गुरु इस बात को गांठ में बांध लो और रजाई होढ़कर सो जाओ ताकि किसने क्या पहना है तुमको दिखे ही नहीं। अगर रजाई नहीं होढऩी है तो रास्ते में निकलने से पहले आंखों पर न देखने का पर्दा डाल लिया करो। बाकी सारे गुरु समझदार हंै, अपनु को तो बस इतना ही कहने का है कि किसी भी कपड़े-सपड़े के लफड़े में न पडऩे का रे बाबा..।
Sunday, June 21, 2009
टिपियाने वाले टपोरियों से सावधान रहे गुरु
काफी समय से सोच रहे थे गुरु कि चलो अपुन भी लिखने की शुरुआत करते हैं, पर अपुन साला लिख ही नहीं पा रहे थे। पर आज उस समय अपुन को लिखने को मजबूर होना पड़ा जब अपुन देखा कि कोई दिनेश बाबू ब्लोगर लोगन को परेशान करने का काम कर रहा है। ऐसे में अपुन को लगा कि यहीच बखत है लिखने का और अपुन ने सोचा कि ब्लोगर गुरुओं को सावधान किया जाए। अपुन जानता है कि ब्लोगर गुरु सावधान रहते हैं, लेकिन अपुन को लगा कि एक बार अपुन भी वार्न कर देता है। वार्न करने में क्या जाता है। अपुन ने आज राजतंत्र में देखा कि एक दिनेश बाबू राजकुमार गुरु को चमका रहे थे कि अपना पोस्ट हटा लो नहीं तो गजब हो जाएगा। बाद में पता चला कि साला वो तो ऐसे ही फेकेला था। जैसा उस दिनेशवा ने राजतंत्र में टिपियाया था, वैसा ही और कई ब्लोग में टिपियाया है। ऐसे चोर लोगन से अपने ब्लोगर भाईयों को सावधान रहने का। एक और ब्लोग नटराज शाह नटराज शाह का देखा उसमें भी यही दिनेशवा कुछ टिपियाया है। ऐसे ही कार्टून गुरु काजल कुमार काजल कुमार के ब्लोग में भी कुछ टिपियाया है। ऐसा लगता है कि दिनेशवा ने सभी ब्लोगर लोगन को परेशान करने का सुपारी खाएला है। तो गुरु लोग सावधान रहने का और ऐसे किसी दिनेशवा से डरने का नहीं है क्या?
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